भारत लौटा छत्रपति शिवाजी का 'वाघ नख' क्यों है बहुत खास?

छत्रपति शिवाजी महाराज आज एक बार फिर चर्चा में हैं, और इसकी वजह है उनका 'वाघ नख'.

जी हां, लंदन के एक संग्रहालय से ये वाघ नख महाराष्ट्र के सतारा लाया गया है.

महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने बताया कि इसे छत्रपति शिवाजी संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा.

लेकिन इससे पहले जानिए कि आखिर ये वाघ नख है क्या, जिसकी चर्चा पूरे महाराष्ट्र में है.

तो छत्रपति शिवाजी ने 1659 में बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान के विरुद्ध इस वाघ नख का इस्तेमाल किया था.

वाघ नख का मतलब है बाघ के पंजे, जिसकी तस्वीर आप यहां देख रहे हैं. बाघ के पंजों की तरह ये डिज़ाइन किया गया, ताकि दुश्मन एक ही वार में मौत के घाट उतारा जा सके.

इसी बाघ नख से शिवाजी महाराज ने अफजल खान का काम तमाम कर दिया था.

कहा जाता है कि 'वाघ नख' को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल सबसे पहले छत्रपति शिवाजी महाराज ने ही किया था.

ये अभी तक लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय में रखा हुआ था, लेकिन अब ये 3 साल तक महाराष्ट्र में ही रहेगा.

इसे लंदन से महाराष्ट्र तक लाने के लिए कुल 14 लाख से ज्यादा रुपये खर्च किए गए हैं.

लंदन में विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय के साथ एक समझौते के अनुसार, बाघ के पंजे तीन साल तक महाराष्ट्र में रहेंगे.

बता दें, माना जाता है कि 1818 में मराठा पेशवा ने इसे ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी को गिफ्ट के तौर पर दे दिया था.

वहीं, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि शिवाजी का असली वाघ नख कभी भारत से बाहर गया ही नहीं था.

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