कर्ण महाभारत के महान योद्धा थे. उनके बिना महाभारत की कहानी अधूरी है.

कर्ण वीर योद्धा होने के साथ ही महादानी भी थे. उन्होंने अपने कवच-कुंडल दान दे दिये थे.

कर्ण ने कुंती को वचन दिया था कि वो अर्जुन को छोड़कर किसी अन्य पांडव पर बाण नहीं चलाएंगे.

लेकिन क्या आपको पता है कि मृत्यु के बाद कर्ण एक रात के लिए फिर से पुनर्जीवित हुए थे

महाभारत युद्ध खत्म होने के कई साल बाद कुंती ने वेदव्यास से कर्ण को देखने की इच्छा प्रकट की थी.

सभी गंगा तट पर एकत्रित हुए और रात में वेदव्यास के आवाहन पर सभी सभी मृत योद्धा प्रकट हो गए.

वेदव्यास के आवाहन पर कर्ण भी गंगा तट पर प्रकृत हुए और उनका अपनी मां कुंती से मिलन हुआ.