बाबर की वो युद्ध तकनीक, जो हिंदुस्तान पर कब्जा करने के लिए अपनाई

20 अप्रैल 1526, ये वो दिन था जब बाबर और इब्राहिम लोदी एक-दूसरे के आमने-सामने थे.

इस दौरान बाबर का पहली बार इब्राहिम लोदी से पानीपत में सामना हुआ, और उसे पता चला कि लोदी के पास 1 लाख सैनिक और 1 हज़ार हाथी थे.

वहीं, बाबर सिर्फ 10 से 12 हज़ार सैनिक लेकर ही हिंदुस्तान आया था, लेकिन पंजाब की सेना ने उससे हाथ मिलाया और ऐसे संख्या बढ़ी. Image Credit: openart

बावजूद इब्राहिम की सेना के मुकाबले कम ही थी, ऐसे में बाबर ने 'उस्मानी (रूमी)' तरीका अपनाया, और जीत गया. Image Credit: openart

इस तरीके में सेना के एक मजबूत भाग को पानीपत में टिकाया, दूसरे भाग को पेड़ों की डालियों और टहनियों से भरी एक खाई के जरिए सुरक्षा प्रदान की.

सामने की ओर गाड़ियों की एक बड़ी संख्या को आपस में बांधा, ऐसा करने से एक प्रतिरक्षक दीवार बन गई.

हर दो गाड़ियों के बीच में ब्रेस्टवर्क्स बनाएं जिसपर से सैनिक अपनी बंदूकें टिकाकर गोली चला सकते थे.

बाबर ने कम सैनिकों का ऐसा जाल बिछाया कि वो पानीपत की लड़ाई जीता, उन्होंने इस तरीके को 'उस्मानी (रूमी)' बताया.

क्योंकि ईरान के शाह इस्माइल के खिलाफ उस्मानियों ने इस तरीके का इस्तेमाल किया था.

और बाबर ने उत्साद अली और मुस्तफा नामक दो उस्मानी उस्तादों से तोपचियों की सेवा ली थी.

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